Birla Opus Case Study: जब भी पैसे की बात आती है, लोग कहते हैं अंबानी और अडानी। आज के 20 साल पहले, ये नाम थे टाटा और बिरला। टाटा ग्रुप अब भी न्यूज़ में रहता है, लेकिन बिरला ग्रुप कहीं से गायब है। लेकिन बिल्ला ग्रुप ने अब की है खतरनाक वाली एंट्री। बिरला ग्रुप ने एक बड़ा धमाका किया है, वो पेंट बिजनेस में एंट्री करने वाले हैं। बोलोगे, क्या धमाका। बड़े-बड़े लोग नए-नए बिजनेस में एंट्री करते रहते हैं, इसमें खास बात क्या है? अरे ना जी ना भाई, ये मामूली एंट्री नहीं है। ये एकदम शानदार धमाकेदार है।
3 साल में 10000 करोड़ का टर्नओवर का टारगेट ले लिया है और इंडस्ट्री के नंबर डो प्लेयर बन के दिखाएंगे, वो भी प्रॉफिटेबल। ये कहा है बयान में, अब बताओ नहीं है। क्या धमाकेदार तो यह बस एक समाचार नहीं है, जिसका व्यापारिक हिस्सा वालों के लिए यह एक केस स्टडी है कि अंत में ये बड़े ग्रुप नए-नए क्षेत्रों में क्यों प्रवेश कर रहे हैं और पहले इसे कैसे देख रहे हैं, और जो पूर्ववृत्ति प्रतिस्पर्धा वहाँ है, उसे वे कैसे सामना कर रहे हैं और नए सेगमेंट में प्रवेश करने के लिए हमारे भाई साहब बिल्ला जी ने अंत में कैसी तैयारी की है, वह सब बताएँगे।
बिल्ला ग्रुप के इतनी बातें क्यों नहीं होती, क्योंकि सर कुमार मंगलम बिल्ला जी ज्यादा बात नहीं करते, वे इंटरव्यू ही नहीं देते, बहुत ज्यादा आग्रह व्यापार में नहीं दिखाते, जिस व्यापार में पूर्ववृत्ति है, वहीं अपनी ताकत और मजबूती को बढ़ाते हैं और नए सेक्टर में आसानी से प्रवेश नहीं करते, इसलिए ज्यादा समाचार नहीं बनते।
इस क्षेत्र में क्यों और कैसे हम प्रवेश कर रहे हैं: Birla Opus Case Study
अब जब हम इस समय में आ चुके हैं, तो हमने ऐसे आने का रास्ता चुना है, जो बड़े उद्योगों के लिए केस स्टडी के रूप में गौर की जानी चाहिए। हम ध्यान से सुनते हैं कि इस क्षेत्र में क्यों और कैसे हम प्रवेश कर रहे हैं। ऐसा क्या किया गया है कि भाई साहब, अब तक का अध्ययन तो बन गया है, और जो नया है, वह है कि बिल्ला ग्रुप की प्रमुख कंपनी, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, ने एलान किया है कि वे पेंट व्यापार में प्रवेश करेंगे और पेंट का उत्पादन करेंगे। बिल्ला ऑप्टस यह बता रहे हैं कि वे आने वाले 3 साल में 10000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू उत्पन्न करेंगे और वे एशियन पेंट्स के बाद दूसरे सबसे बड़े खिलाड़ी बनेंगे, जो कि लाभदायक होंगे, न कि हानिप्रद। अब, सबसे पहली बात, बिरला ग्रुप इस क्षेत्र में क्यों आया है, और क्यों अन्य बड़े ग्रुप नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं।
पहले आना इंडस्ट्री ट्रेंड और टेम मतलब पूरी तरह से विश्लेषण करना है, बाजार में किसी नए सेक्टर में प्रवेश करने से पहले। यहाँ, बाजार का आकार देखना महत्वपूर्ण है। यदि बाजार छोटा है, उदाहरण के लिए 10000 करोड़ का है, तो इसमें क्या आयेगा और क्या जाएगा, इसे विश्लेषित करना जरूरी है।
कुछ लोगों ने देखा कि हाउसिंग मार्केट में वृद्धि हो रही है, सरकार भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे रही है, और दुनिया भर में सड़कें और पुल बन रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में भी बड़ी गति है। मुंबई में दुनिया की सबसे अधिक क्रेन हैं। इस सेक्टर की इतनी तेजी से बढ़ोतरी के बावजूद, पेंट इंडस्ट्री में भी वृद्धि होगी।
पेंट इंडस्ट्री की मूल्य 70000 करोड़ रुपए है: Birla Opus Case Study
अनुमान है कि आज की तारीख में पेंट इंडस्ट्री की संयंत्रों की मूल्य 70000 करोड़ रुपए है, और कुछ समय में यह 1 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी। इस बड़ी इंडस्ट्री में अनेक खिलाड़ी हैं। बिरला ग्रुप ने भी इसमें एंट्री की, क्योंकि उन्हें लगा कि यहाँ बहुत अवसर हैं।
दूसरा कारण था बिल्डिंग द इको सिस्टम जैसे हो गए इकोसिस्टम बना है ना पूरा अब बिरला ग्रुप कहते हैं होम का कंस्ट्रक्शन बढ़ेगा तो बिल्डिंग मटेरियल में भैया सीमेंट लेते हो अल्ट्राटेक देश की नंबर वन किसकी है बिल्ला जी की वॉल पुट्टी किसकी लेते हो बिल्ला जी की तो बिल्ला जी कह रहे हैं जब कंस्ट्रक्शन में सीमेंट हमसे ले ही रहे हो पट्टी हमसे ले ही रहे हो पेंट किसी और से क्यों लेते हो ये भी हमसे ले लो तो बेसिकली इनका इको सिस्टम है कि मेरे पास ऑलरेडी ग्राहक भी है डिस्ट्रीब्यूशन भी है सारी चीजें तो है तो भाई साहब मेरे राक को इधर-उधर क्यों भेजूं यहीं पे सर्व कर देते हैं
तीसरा विशेषज्ञता का है लिव द एक्सपर्टीज़, जिन्हें प्लांट लगाने की आदत है, उन्हें मैन्युफैक्चरिंग की अभ्यास है। उनके पास एक ऐसी पूरी टीम है जो इस क्षेत्र में अत्यधिक सक्षम है। उनका सप्लाई चेन एक एकोसिस्टम है जिसमें डिस्ट्रीब्यूटर और ग्राहक शामिल हैं। जब सब कुछ तैयार है, तो इस नए क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए उन्हें काफी तैयारी की आवश्यकता है।
यार, तो भाई, पहला सवाल यह है कि आपके पास तो पैर दरबार की और आप तक पहुँच गए, लेकिन वहाँ जीतने का तरीका क्या है? वहाँ तो एशियन पेंट बैठा है, उनका बाजार पेंट इंडस्ट्री का है, और वे अन्य बड़े खिलाड़ी हैं। अभी JSW ने प्रवेश किया है, पिडीलाइट ने प्रवेश किया है। तो कैसे आप इसमें सफल होंगे? आपको उसमें धूम मचाने का क्या योजना है?
एक साथ 10,000 करोड़ रुपये का निवेश
हमने अनुसंधान किया है, और बिरला समूह का अग्रेसिव व्यापार नहीं करते होने का खण्डन किया है। वे धीरे-धीरे, शांति से काम करते हैं, कम बोलते हैं, लेकिन इस बार पेंट इंडस्ट्री में वे धूम मचा रहे हैं। वे ने एक साथ 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
सामान्यतः सोचें, आप व्यापार शुरू कर रहे हैं। आप कैसे शुरू करेंगे? एक काम करें, पहले कुछ उत्पाद लॉन्च करें और देखें कि क्या चलता है और क्या नहीं। फिर आप समझेंगे कि किस प्रकार की उपयुक्तता है। उसके बाद आप और उत्पाद लॉन्च कर सकते हैं।
एक बात और, पहले मैन्युफैक्चरिंग कहाँ होगी? “और से ही करवा लो फिर समझ में आएगी। फिर हम एक फैक्ट्री खुद खोल लेंगे और धीरे-धीरे उसे बढ़ा लेंगे। पहले एक शहर से शुरुआत करें, फिर एक राज्य से, और फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं। आप भी तो ऐसा ही करते हैं। आपने कहा था न, ‘जब हम पुराने उद्योग के खिलाड़ी हैं, सभी नियमों को जानते हैं, और हमें अपना परख है, तो हम सब कुछ एक साथ करेंगे।’ उन्होंने जिस कौशल पर फैसिलिटी, वितरण, और विपणन की शुरुआत की है, उस स्तर पर आज तक किसी ने कुछ नहीं किया।”
मार्च के मध्य में पंजाब, हरियाणा, और तमिलनाडु में
शहर में लॉन्च करने की योजना है? हम उसे मार्च के मध्य में पंजाब, हरियाणा, और तमिलनाडु में शुरू करने वाले हैं और जुलाई तक, जहां जिलों की आबादी एक लाख से अधिक है, हमारे उत्पाद पहुंच जाएगा। मार्च 2025 तक, हमने 6000 से अधिक शहरों में प्रवेश किया है। डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर कहां से लाएंगे? हमने पहले ही 3 लाख पेंटर और कॉन्ट्रैक्टरों के साथ समझौता किया है, और लॉन्च से पहले पेंट रखने वाली एजेंसी को वित्तीय सहायता भी दी जाएगी।
लोगो तक प्रोडक्ट्स की पहुचाएंगे
हमारे पास अदित्य बिल्ला कैपिटल है, तो टेंशन नहीं लेनी चाहिए। हम आपके माल को संभालेंगे और पैसा भी उधार देंगे। हमारी विपणन रणनीति बहुत सरल है – हम इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहे हैं, तो हमारा उत्पाद भी सस्ता होगा। हम उन दुकानों तक भी पहुंचेंगे जहां हमारा सामान बेचा जाता है। Birla Opus Case Study
और हम 10% छूट भी देंगे। अन्य लोगों को। और हमने उन डिब्बों पर क्यूआर कोड भी लगा दिया है, क्योंकि एशियन पेंट्स नंबर वन है। उसके पास बहुत सारा डेटा है। अब डेटा कैसे लाएंगे? तकनीक का युग है, हर डिब्बे पर हम क्यूआर कोड लगाएंगे।
सामने वाले कहेंगे, भाई स्कैन करो, हम 10% छूट देंगे। स्कैनिंग करने के चक्कर में, वहां से पता चल जाएगा कि कौन सा डिब्बा किस कलर का है, कितना बिक रहा है। तो डेटा का उपयोग कैसे किया जाएगा।
हमको क्या फायदा होने वाला है
अभी तो नंबर टू की तैयारी है, बाद में एशियन पेंट्स को भी भिड़ंत देंगे। अब एक सवाल आता है कि इससे हमको क्या फायदा होने वाला है। इससे आम आदमी का फायदा बताओ। आम आदमी के मजे ही मजे गारंटी कैसे? प्राइस वॉर होगा भैया, लड़ाई झगड़े अभी तक तो देखो, एशियन मेंट बैठा था, बर्जर बैठा था, दो चार थे, अब JSW पेंट आ गया, अब भाई साहब पिडीलाइट आ गया, अब भाई साहब ये और आ गए। अब इतने सारे प्लेयर आ गए तो क्या होगा? बढ़िया से बढ़िया सर्विस देंगे, बहुत ज्यादा कलर के ऑप्शन देंगे, बहुत सारी सुविधाएं देंगे, और सस्ते में और देंगे।
निवेशकों के लिए राय: Birla Opus Case Study
इंडस्ट्री पे क्या फर्क पड़ेगा? और इन्वेस्टर, मैं इन्वेस्टर हूं, इन पेंट कंपनियों में पैसा लगाऊं कि ना लगाऊं? तो भैया इंडस्ट्री के लिए ओवरऑल, तो अभी जो दौर है, अगले दो-तीन साल ठीक नहीं है, साहब। क्यों नहीं है, साहब? ओवरऑल इंडस्ट्री का जो प्रॉफिट है ना, वो कम होने वाला है। बोले कैसे? अरे सर, यहां यटर छोड़ो ना, कंसल्टेंट के नजरिए से देखो, इनको आपस में लड़ाई हो रही है, तो लड़ाई करने के लिए क्या करना पड़ेगा? एडवरटाइजिंग प पर खर्चा करना पड़ेगा, जबरदस्त खूब टी पे ऐड आएंगे, खूब अखबारों में ऐड आएंगे, खूब सेलिब्रिटी हायर करनी पड़ेगी, तो एडवर्टाइज में लगेगा मोटा पैसा।
दूसरा डीलर की दुकानें लिमिटेड हैं, तो हर आदमी बोलेगा, “मेरा माल रखो, मेरा माल रखो”, तो डीलर को कमीशन ज्यादा देना पड़ेगा।
तीसरा टैलेंट कम होने के कारण उद्योग में अब हर व्यक्ति चाहेगा कि बड़ी कंपनी हमारे साथ जुड़ जाए, ताकि हमें अधिक पैकेज मिले और हमें सामान सस्ते दाम पर खरीदने की सुविधा मिले। इससे यह स्पष्ट है कि कुल लाभ कम होगा। इस उद्योग को इस दृष्टिकोण से एक बार ज़रूर देखना चाहिए, चाहे आप उनके शेयरों को देखें या उनके फंडामेंटल्स को नजरअंदाज़ करें, क्योंकि हमें कोई विशेषज्ञ या पंजीकृत ब्रोकर नहीं है जो हमें यह बता सके कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
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