Tata Group से एक ही बात कहना चाहते हैं, एक ही तो दिले साहब, कितनी बार जीतोगे! जब भी बात देश की आती है, सबसे पहले जो ग्रुप खड़ा होता है, वो है टाटा ग्रुप। ये लोग बिजनेस ये सोच के नहीं करते, किस इंडस्ट्री में, किस प्रोडक्ट में, किस सर्विस में पैसा ज्यादा है ये सोच के। किस प्रोडक्ट की, किस सर्विस की, किस इंडस्ट्री की देश को जरूरत है ये आज से नहीं, कई सालों से कर रहे हैं। हमेशा देश की जरूरत सबसे पहले और आज फिर ये इतिहास को दोहरा रहे हैं।
आज फिर टाटा ग्रुप भारत में नेशनल चैंपियन बनके उभरा है और देश को उस सेक्टर में मदद कर रहा है, जिसमें उसको सबसे ज्यादा जरूरत है। तो सबसे पहले आपके मन में एक सवाल होगा सर जी, यह नेशनल चैंपियन क्या होता है? और वो ऑपरेट कैसे करता है? आज तक टाटा ग्रुप ने देश को कहां-कहां, कब कब, कैसे-कैसे सहयोग किया है? और अब ऐसा क्या कर रहा है? आपको टाटा ग्रुप की स्टार्टिंग से लेकर अब तक सभी बातें बताएँगे। अगर टाटा को प्यार करते हो ना, तो यह लेख अंत तक पढ़ना। और हर एक व्यक्ति जो बिजनेस करना चाहता है, जो टाटा ग्रुप का फैन है, जो रतन टाटा जी की इज्जत करता है।
आर्थिक गतिविधि, राष्ट्रीय चैंपियन क्या होता है?
किसी भी देश की ओवरऑल ग्रोथ होने से पहले जरूरी है उसकी आर्थिक ग्रोथ। पैसा भाई, पैसा! ब्रिटेन ने अपने बिजनेसमैन के और पैसे के दम पे दुनिया पर राज किया था। आज की डेट में अमेरिका की तूफानी भूमिका इसी वजह से है। क्योंकि पैसा है, बिजनेसमैन है। चीन भी जीरो से हीरो बना है, बिजनेसमैन और पैसे के दम पे। तो आर्थिक तरीके के लिए क्या चाहिए? जरूरत है बिजनेसमैन की, देखो बेसिक इकोनॉमिक्स कहती है, अगर किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधि करनी है, तो चार चीजें चाहिए। जमीन बहुत अवेलेबल है, देश के पास कमी नहीं है। फिर चाहिए लेबर, एंप्लॉई भर भर के बैठे हैं।
साथ ही, जब मशीनों की आयात होगी, कैपिटल की कोई बड़ी समस्या नहीं होगी। सरकार बहुत कम राशि में इसे खरीदेगी। एक बात वह है जो अन्य किसी चीज में नहीं है – वह है उद्यमिता। ऐसे व्यापारी नहीं मिलते जो सभी योजनाओं को संग्रहीत करके जोखिम उठाते हैं और कुछ नया बना पाते हैं। जो देश को यह प्राप्त होता है वह आगे बढ़ता है, और जो नहीं प्राप्त होता है, वह पीछे रह जाता है। राष्ट्रीय चैंपियन क्या होता है? राष्ट्रीय चैंपियन का अर्थ है कुछ व्यापार गुट जिन्हें सरकार से पूरा समर्थन मिलता है, पूरी सहायता मिलती है और ये हर क्षेत्र में व्यापार करते हैं, जिससे निर्यात बढ़ते हैं, रोजगार बढ़ता है, और देश का नाम ऊंचा होता है।
कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं। जापान में टोयोटा ने यह काम किया, जापान में सोनी ने किया, साउथ कोरिया में LG ने और सैमसंग ने भी किया, अमेरिका में फ़ॉर्ड ने किया, और अब इस जिम्मेदारी को गूगल, फेसबुक, और अमेज़न ने लिया है। चीन में ई-कॉमर्स की शुरुआत अली बाबा ने की और अब ये टेंसेंट ग्रुप आगे बढ़ रहे हैं। इन कंपनियों की वजह से उन देशों ने अपना नाम विश्व में बनाया है, पैसा कमाया है, और आर्थिक संपत्ति हासिल की है। फिर, हमें बताएं, भारत का राष्ट्रीय चैंपियन कौन है? भारत का राष्ट्रीय चैंपियन है टाटा। इस ग्रुप ने देश को बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया है। अब आप करेंट स्थिति में क्या कर रहे हैं?
टाटा ग्रुप की शुरुआत हुई
पहले रीकैप करें कि वे क्या-क्या किया हैं। टाटा ग्रुप की शुरुआत हुई जब उन्होंने 1886 में इंप्रेस मिल की स्थापना की। उस समय एंप्लॉई वेलफेयर को लेकर पीएफ ग्रेजुएट्स को कोई विकल्प नहीं था, बिना किसी नियम के टाटा ने अपने एंप्लॉईज को सुविधा प्रदान करना शुरू किया। उस समय भारत में क्वालिटी इंस्टीट्यूट्स नहीं थे और उनके पास नौकरी के लिए विशेषज्ञ लोग भी नहीं थे। इसलिए वे लोग विदेश जाकर अध्ययन कर सकें, इसके लिए पैसे नहीं थे, तो टाटा ने JN एंडोवमेंट फंड का आयोजन किया। इसकी वजह से भारतीय छात्रों को विदेश भेजा जाता था। ये उदाहरण दिखाते हैं कि टाटा ग्रुप ने देश के उत्थान के लिए कितने कई पहलू बनाए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रॉफिट मार्जिन मेहनत की बात थोड़ी है। देश का जोर होता है, तो 1907 में टाटा स्टील का आरंभ हुआ। वह समय में मुंबई एक विकसित शहर था, लेकिन क्लीन एनर्जी की कमी थी। तब हाइड्रो प्लांट लगाने का सुझाव दिया गया। पहला हाइड्रो पावर प्लांट स्थापित कर शुरुआत हुई, न केवल पैसे कमाने के लिए, बल्कि देश की जरूरत के लिए। 1917 में, जब सब कुछ विदेशी था, टाटा ग्रुप ने साबुन से लेकर टूथपेस्ट तक कई उत्पाद बनाए। वह समय देश गुलाम था।
कैसे बना भारत का National Champion ?
इंडिपेंडेंट इंडिया की पहली टीम को ओलंपिक में भेजने के लिए भी टाटा ग्रुप का योगदान रहा। 1932 में, जब देश में कोई एयरलाइन नहीं थी, टाटा ने पहली एयरलाइन, टाटा एयरलाइंस ऑफ एयर इंडिया, की शुरुआत की। यहां भी न केवल बड़े मार्जिन के लिए, बल्कि देश की आवश्यकता के लिए। 1945 में, टाटा मोटर्स ने देश में ऑटोमोबाइलों की शुरुआत की, जो नेहरू जी की सलाह पर हुई। उन्होंने कहा था कि भारत में एक स्थानीय कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने की आवश्यकता है। इसके बाद, 1968 में, कंप्यूटर का दौर आया। टाटा ग्रुप ने इसमें भी अपना योगदान दिया। उन्होंने देश के नमक का उत्पादन किया, चाय पीने का विकास किया, और अन्य क्षेत्रों में भी उत्पादन किया जहां देश की जरूरत थी। टाटा ग्रुप ने हमेशा उन उत्पादों का विकास किया जो देश की जरूरतों को पूरा करते हैं।
1984 में था कि यार फॉरेक्स कैसे लाई जाए कुछ ऐसा प्रोडक्ट बनाया जा कि फॉरेक्स हम लेके आए। इन्होंने शुरुआत की टाइटन स्वदेशी घड़ियां बनाएंगे। साहब, विदेशी घड़ी कब तक पहनेंगे? फिर इन्होंने कहा स्वदेशी ज्वेलरी भी चाहिए। तो तनिष्क जब बात आई स्वदेशी गाड़ियों की तो Tata Motors सबसे जब आया कि भैया, खुद के बाजार खुलेंगे, सुपर मार्ट बनेंगे, तो वेस्ट साइड लेके आया Tata। ऐसे करके अगर आप नजर मारते जाएंगे, तो Tata Group ने कंपनी की शुरुआत की। वो आपको दिखती है किस दौर में की और कब की। तो आपको उसके पीछे बिजनेस इंटरेस्ट से पहले दिखेगा देश का हित। यह काम ये अभी दोबारा कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग, डिफेंस, चिप मैन्युफैक्चरिंग
मुझे बताइए आज की रेट में, अगर जो इस समय बाजार में माहौल चल रहा है, अगर विश्व में किसी को आगे जाना है, किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत लग रही है, तो बोले एआई का जमाना चल रहा है। इस एआई के जमाने में सबसे इंपॉर्टेंट चीज हो गई है चिप। ताइवान छोटा सा देश है, पर एक चिप मैन्युफैक्चरिंग के चक्कर में पूरी वर्ल्ड की निगाह उस परे जमी हुई है। तो इन्होंने कहा आगे भविष्य में अगर चिप इंपॉर्टेंट होगी, तो देश का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट भी Tata Group ही लगा रहा है, 11 बिलियन 90 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट के साथ धोलेरा रहा। उसके अलावा चिप की असेंबलिंग, मार्किंग, पैकिंग का 27000 करोड़ का प्लांट अलग लगा आ रहा है। टोटल 90 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट Tata Group अगले 5 साल में करने वाला है।
मैन्युफैक्चरिंग के अंदर क्योंकि हम कह रहे हैं कि भैया, देश में अगर रोजगार पैदा करने हैं और देश को अपने आप में आत्मनिर्भर होना है, मेक इन इंडिया करना है, तो भैया, मैन्युफैक्चरिंग में हाथ लगाना पड़ेगा। अब सब लोग सर्विस में काम कर रहे हैं, रिटेल में काम कर रहे हैं, मजा आ रहा है क्योंकि वहां मार्जिन ज्यादा है। लेकिन जो मैन्युफैक्चरिंग का जिसमें पहले पैसे लगेंगे, पहले मेहनत लगेगी, फिर आउटपुट निकलेगा, उसमें कौन घुसेगा? Tata Group ही घुसेगा भाई साहब। तो Tata Group ने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में अपना हाथ आजमाया है। डिफेंस की बात करते हैं।
19 कंपनियों की लिस्टिंग है, इसमें इन्वेस्ट करना बहुत ही अच्छा लगता है: TATA Group
टाटा ग्रुप आज की तारीख में हथियार भी बना रहा है, टाटा ग्रुप आज की तारीख में प्लेन भी बना रहा है, क्योंकि पता है कि आगे जाकर अगर विश्व युद्ध के हालात बनते हैं, तो भारत बड़ी इकोनॉमी बनेगा और उसकी बढ़ोतरी में कई लोग आएंगे। इसलिए हमारा डिफेंस मजबूत होना जरूरी है और उसमें भारतीय कंपनियों का भी हाथ होना चाहिए। इसलिए टाटा ने डिफेंस में एंट्री की है।
कंज्यूमर मार्केट की बात चल रही है कि Apple को भारत में लाना चाहिए, चीन का एल्टरनेटिव देने के लिए। लेकिन चीन में इतने सारे iPhone बनते हैं, भारत में उनकी लाने के लिए बहुत बड़ा निवेश चाहिए। कौन करेगा ऐसा निवेश?
टाटा ग्रुप Wistron और Pegatron से बातचीत कर रहा है, और भारत में iPhone की असेम्बलिंग में सबसे बड़ा लीडर टाटा बनेगा। हर वो चीज जिसमें देश को आगे बढ़ना चाहिए या जिससे देश का भला हो, उसमें टाटा आगे आयेगा। देश मजबूत होगा, मेक इन इंडिया होगा।
इन्वेस्ट किया है, कर रहा है और करेगा। टाटा ग्रुप में आप निश्चिंत रह सकते हैं कि वो सारा काम एथिकल तरीके से करेगा और देश को ऊपर उठाएगा। आपको करप्शन या अन्य चीजों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।
रतन टाटा को सलाम! अब टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियां भी आगे बढ़ रही हैं, और इसे देखते हुए NSE ने टाटा के लिए अलग से इंडेक्स लॉन्च किया है। 19 कंपनियों की लिस्टिंग है, इसमें इन्वेस्ट करना बहुत ही अच्छा लगता है। इससे देश का विकास होगा और आपको भी तरक्की का मौका मिलेगा।
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