Why did IRAN attack ISRAEL? | Iran vs Israel explained in details | Know the Reason.

Iran vs Israel Attack

Iran vs Israel Attack: इजराइल पर फिर से एक अटैक हुआ है, लेकिन इस बार अटैक कोई टेरर आउटफिट नहीं किया है, बल्कि ईरान ने 13 अप्रैल 2024 को 300 से अधिक रॉकेट्स और ड्रोन इजराइल पर छोड़े हैं। इसकी जिम्मेदारी ईरान ने ली है। यह अटैक्स कुछ दिलचस्प पहलुओं के साथ थे। पहला रीजन यह है कि 99 रॉकेट्स को इंटरसेप्ट किया गया, इससे इजराइल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। दूसरा रीजन यह है कि ईरान को पता था कि यह रॉकेट्स नष्ट होंगे, फिर भी उन्होंने अटैक किया। इस अटैक के पीछे कुछ संभावित कारण जानते हैं। कुछ लोगों को यह आश्चर्य होगा कि क्यों ईरान ने यह किया, लेकिन याद रखना चाहिए कि कभी-कभी इतिहास में ईरान और इजराइल एक-दूसरे के साथ सहयोग करते थे।

क्या यह इवेंट वर्ल्ड वॉर 3 की शुरुआत या फिर वर्ल्ड वॉर 3 ऑलरेडी शुरू हो चुकी है?

इजराइल में आने वाला ज्यादातर ऑयल ईरान से आता था और ईरान वेपंस इस्राइल से खरीदता था। लेकिन ऐसा क्या हुआ जिससे दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ गए, क्या यह इवेंट वर्ल्ड वॉर 3 की शुरुआत या फिर वर्ल्ड वॉर 3 ऑलरेडी शुरू हो चुकी है? हम बस मान नहीं रहे हैं। चलिए समझते हैं आज के इस लेख में।- Iran vs Israel Attack

1 अप्रैल को इजराइल ने डामा में ईरान के कॉन्सुलेट पर अटैक किया। इस अटैक में एक ईरानी जनरल और छह और लोग मारे गए। इस अटैक के बाद ईरान ने डायरेक्टली इजराइल को सबक सिखाने की ठान ली। इसे ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ नाम भी दिया गया। इस अटैक के बाद ईरान ने सीधा अमेरिका को कॉल किया और उन्हें बताया कि वे इसके खिलाफ हमला करेंगे। ये खबर बाहर निकलनी नहीं चाहिए थी लेकिन अमेरिका इस्राइल का आलाय है और यह खबर लीक हो गई। इस्राइल मिसाइल्स के लिए रेडी था।

331 मिसाइल्स और ड्रोन से अटैक

13 अप्रैल को पूरे देश में ऐसे साइरंस बज रहे थे और आसमान में मिसाइल्स और ड्रोन्स हो रही थी। ईरान ने इजराइल पर इन टोटल 331 मिसाइल्स और ड्रोन से अटैक किया। इनमें से 185 ड्रोन को, 103 बैलिस्टिक मिसाइल को, और 36 क्रूज मिसाइल्स को शूट डाउन कर दिया गया। लेकिन सात मिसाइल्स इजराइल की धरती पर आ गईं। इजराइल ने इस अटैक को कैसे रोक पाया, यह पॉसिबल हुआ दो डिफेंस सिस्टम्स की मदद से। एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम आयन डोम और एरो सिस्टम। आयन डोम शॉर्ट रेंज के रॉकेट्स को इंटरसेप्ट करने के लिए 2011 में बना है।

इसमें एक रेडर यूनिट मिसाइल्स को हवा में ही डिटेक्ट करता है और इंफॉर्मेशन कंट्रोल यूनिट तक पहुंचती है। कंट्रोल यूनिट में उस मिसाइल का पाथ देखा जाता है और अगर यह मिसाइल किसी सिविल एरिया को हिट करने वाली है, तो फायरिंग यूनिट से एक दूसरी डिफेंस मिसाइल फायर होती है। इससे मिसाइल थ्रेट को आसमान में ही एलिमिनेट कर देता है। दूसरा सिस्टम, एरो वेपन सिस्टम, लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल्स को रोकने के लिए बना है।

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अटैक की जरूरत चार कारणों से हो सकती: Iran vs Israel Attack

हमारे रिसर्च में यह आया कि इस अटैक को करने की जरूरत चार कारणों से हो सकती है, जिन्हें हम एक-एक करके समझाएंगे। पहला कारण है रिटल ईरान के लिए, जो दुनिया भर में विभिन्न देशों के साथ टकराव कर रहा है। उन्होंने पाकिस्तान पर इस साल अटैक किया था, और उनके सऊदी अरेबिया के साथ विवाद चल रहे हैं। आजकल, जैसे ही इजराइल ने उनके जनरल को एयर स्ट्राइक से मारा था 2020 में, अमेरिका ने भी ऐसा किया था। इसके बाद, ईरान चुप नहीं बैठा। 7 अक्टूबर को हमास के अटैक के बाद, ईरान ने यूएस फोर्सेस पर 150 बार हमला किया है। इससे स्पष्ट है कि ईरान को पता था कि वे इजराइल पर अटैक करके फेल होंगे, लेकिन फिर भी वहां के लोग इसे सेलिब्रेट कर रहे हैं, पटाखे जला रहे हैं और रैली निकाल रहे हैं।

रैली इसलिए निकाल रहे हैं क्योंकि उनके लिए यह फैलियर नहीं है, हर बार उन्होंने रिटल शब्द का उपयोग किया है। ईरान इस अटैक से एक बात को हाइलाइट करना चाहता है कि पहला अटैक इजराइल ने किया था। 7 अक्टूबर के अटैक में इजराइल में 1200 लोगों की मौत हुई, वहीं वेर एज गाज में इजराइल के कारण 33000 लोगों की मौत हुई। इजराइल पर अटैक करना रिटल के लिए सही लगता है, और इसलिए ये लोग सेलिब्रेट कर रहे हैं।

‘एक्सेस ऑफ रेजिस्टेंस’ क्या है.

दूसरा रीजन है ‘एक्सेस ऑफ रेजिस्टेंस’। यह अटैक इजराइल पर ईरान का पहला डायरेक्ट अटैक था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ईरान ने इजराइल के खिलाफ कभी कोई एक्शन नहीं लिया है। ईरान वॉर तो लड़ता है, लेकिन प्रॉक्सीस के थ्रू गाज में हमास, लेबेन में हजब उल्लाह, यमन, सीरिया, और इराक में कुछ शिया ग्रुप्स हैं जो ईरान से ऑर्डर्स लेते हैं। इस नेटवर्क को ‘एक्सेस ऑफ रेजिस्टेंस’ कहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हमास के पास इतना पैसा और विस्तृत विनियामक कहाँ से आते हैं? ईरान और इजराइल के कॉन्फ्लिक्ट में एक खास बात है – ईरान कभी भी इजराइल पर सीधा अटैक नहीं करता, बल्कि प्रॉक्सीस के थ्रू अटैक करता है। यह एक पहला अटैक है।

जिसकी इतनी ओपनली रिस्पांसिबिलिटी ईरान ने ली है, ईरान अपने नेटवर्क का इस्तेमाल इजराइल पर अटैक करने के लिए करता है। तीसरा रीजन है अमेरिका के लिए वार्निंग कोई नहीं चाहता कि मिडल ईस्ट में वॉर एस्केलेट हो। इस अटैक के बाद रशिया ने वॉर्निंग इशू की। पुतिन ने कहा वी विल नॉट सिट एंड डू नथिंग। इफ बाइड सपोर्ट्स इजराइल, ईरान ने बार-बार इजराइल को “लिटिल सेटन” और अमेरिका को “ग्रेट सेटन” कहा है। रशिया हमेशा से ही ईरान को सपोर्ट करता है। यह अटैक और इसका फ्यूचर में आने वाला रिटल ईरान और रशिया को एक अलायंस में तब्दील कर सकता है।

ईरान और इजराइल बहुत अच्छे खासे दोस्त

ऑलरेडी, रशिया यूक्रेन कॉन्फ्लेट में ईरान ने रशिया को वेपन सप्लाई किए हैं। अगर अमेरिका अटैक करता है, तो रशिया भी इंवॉल्व हो जाएगा। जो ईरान चाहता है। चौथा और सबसे इंपॉर्टेंट रीजन है मुस्लिम वर्ल्ड की लीडरशिप। आपको सुनकर विश्वास नहीं होगा, लेकिन 1979 से पहले ईरान और इजराइल बहुत अच्छे खासे दोस्त हुआ करते थे। तब ईरान कुछ ऐसा दिखता था, रजा शाह ईरान का राजा हुआ करता था। उन्होंने ईरान के सिस्टम में कुछ इंपॉर्टेंट रिफॉर्म्स लाए थे। औरतों के लिए यहां फ्रीडम हुआ करता था। पब्लिक में हिजाब पहनना बैंड था। उन्हें एजुकेशन लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। उन्होंने समाज के रिलीजस लीडर्स को पॉलिटिक्स में दखल देने से रोका हुआ था।

अमेरिका इस ईरानी सरकार को पूरी तरह से सपोर्ट किया करता था। ईरान के जबरदस्त ऑयल सप्लाई की वजह से और उनके ओपन एटीट्यूड की वजह से ईरान उन्हें पसंद था। लेकिन 1979 में ईरान में इस्लामिक रेवोल्यूशन हुआ और उसके बाद खुमैनी ईरान के पहले सुप्रीम लीडर बने। ईरान एक शिया मुस्लिम डोमिनेंट देश है और सौदी एक सुन्नी डोमिनेंट देश है। ईरान अपने आप को पूरे मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर बनाना चाहता है। पिछले छ महीनों में इजराइल गाज स्ट्रिप पर जो कर रहा है, उसे हर मुस्लिम देश क्रिटिसाइज तो कर रहा है लेकिन एक्शन किसी ने नहीं लिए। ये डिफरेंस दिखाने का एक मौका ईरान चाहता था, और उसे वो मिल ही गया।

सिस्टम 2025 तक जर्मनी तक पहुंची जाएगी: Iran vs Israel Attack

यहां भले ही मिसाइल्स इजराइल की तरफ छोड़े गए हो, टारगेट तो सौदी की पोजीशन थी। आपको क्या लगता है, इनमें से कौन सा रीजन ईरान का असली रीजन हो सकता है या फिर कोई और ही रीजन हो सकता है? हमें कमेंट्स में जरूर बताइए। आगे बढ़ते हैं, वीडियो की शुरुआत में हमने कहा था कि इसकी वजह से इजराइल को नुकसान नहीं फायदा ही होगा। ऐसा क्यों? क्योंकि इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया भर में बेस्ट है।

लेकिन 7 अक्टूबर के अटैक में यह सिस्टम फेल हो गई थी और इसीलिए 1200 लोगों की जान भी गई लेकिन अब ईरान के 98 पर अटैक को इजराइल के एरो 3 सिस्टम ने इंटरसेप्ट किया ये उनकी कैपेबिलिटीज का लाइफ डेमो दुनिया को मिल गया। जर्मनी ने 4 बिलियन यूरो की डील इजराइल के साथ साइन की है, जिसे जर्मनी खुद को रशिया के फ्यूचर अटैक से बचाना चाहता है। यह सिस्टम 2025 तक जर्मनी तक पहुंची जाएगी। लेकिन इस इंसीडेंस के थ्रू इजराइल ने अपनी कैपेबिलिटीज को वापस प्रूव कर दिया। इजराइल के लिए दूसरा फायदा यह है कि इसके थ्रू यह प्रूव हो गया कि ईरान डायरेक्टली भी अटैक कर सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह इजराइल और अमेरिका के लिए एक अपॉर्चुनिटी है।- Iran vs Israel Attack

जुलाई 2015 में ईरान न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुई थी

ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को डिस्ट्रॉय करने की जुलाई 2015 में ईरान न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुई थी, जिसमें ईरान ने प्रॉमिस किया था कि वो न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल सिर्फ पीसफुल पर्पस के लिए करेंगे वेपंस नहीं बनाएंगे। इसके बदले वेस्टर्न देशों ने कई सारे सैंक्शंस ईरान से हटा भी दिए लेकिन 2018 में अमेरिका इस डील से बैक ऑफ कर गया और 2020 में ईरान ने भी डिक्लेयर कर दिया कि वो इस डील के कुछ-कुछ रिस्ट्रिक्शंस फॉलो नहीं करेंगे। यह टाइम टेबल इस साल जनवरी का है जहां एक्सप्लेन किया गया है कि ईरान न्यूक्लियर वेपंस बनाने के काफी करीब है।

अगर ईरान चाहे तो सिर्फ तीन हफ्तों में में पांच फिशन वेपंस बना सकता है और यह बात 4 महीने पुरानी है यानी हो सकता है कि ईरान के पास आज इस समय भी न्यूक्लियर वेपंस हो। इस्लामिक रेवोल्यूशन के बाद ईरान इजराइल का एक काफी बड़ा थ्रेट बन गया था और इजराइल एक मौका ही ढूंढ रहा था कि जब वह इन न्यूक्लियर प्लांट्स पर अटैक कर पाए उनके न्यूक्लियर वेपंस अगर वह वहां हैं तो उन्हें खत्म कर पाए।

इजराइल के बारे में मैं आपको एक बात बता दूं इजराइल अपनी डिफेंस स्ट्रेटेजी एक फिलोसोफी के ऊपर बेस करता है और वो फिलॉसफी है डिटेंस यानी अपने दुश्मनों को दिखाओ डेमोंस्ट्रेट करो कि उनके अटैक्स को इजराइल कितनी अच्छी तरह से रोक सकता है। ये डिटेंस की स्ट्रेटेजी 7 अक्टूबर को फेल हो गई थी और पूरी दुनिया को मैसेज मिल गया कि आयन डो में भी फ्लज हैं।

इजराइल को एक सेकंड चांस दिया: Iran vs Israel Attack

अब इस डिफेंस की सक्सेस ने इजराइल को एक सेकंड चांस दिया है अपने डिफेंस को वापस प्रूव करने का। इमीडिएट गाज स्ट्रिप से शिफ्ट हो गया है। इसके बाद इजराइल क्या करता है, कोई एक्शन लेता है या डी एस्केलेट करता है, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन कंक्लूजन यही है कि इजराइल और ईरान के बीच में चल रही शैडो वॉर खत्म हो चुकी है। जैसे कि अमेरिका और यूएसएसआर के बीच कोल्ड वॉर चल रही थी, वैसे ही इस्लामिक रेवोल्यूशन के बाद पिछले 50 सालों से इजराइल और ईरान के बीच शैडो वॉर चल रही थी। जहां सामने से नहीं छुप-छुप के अटैक्स हो रहे थे, आज ईरान और इजराइल दोनों देशों ने एक दूसरे पर अटैक्स करने की वजह से यह शैडो वॉर जरूर खत्म हो गई है। अब दोनों देश आमने-सामने खड़े हैं।

आज ये लेख शूट करते समय यूएनएससी की एक इंपॉर्टेंट मीटिंग चल रही थी, जहां दोनों साइड्स ने एक दूसरे को ब्लेम किया। इजराइल चाहता है कि ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स को एक टेरर आउटफिट घोषित किया जाए। ईरान कहता है कि जब इजराइल ने ईरान के डिप्लोमेटिक मिशन को सीरिया में टारगेट किया तब यूएनएससी कहां था, उन्होंने कुछ किया नहीं। इसीलिए हमें एक्शन लेनी पड़ी। आपको क्या लगता है, यहां सही आर्गुमेंट किसकी है?

हमें कमेंट्स में जरूर बताइए। आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां वर्ल्ड वॉर एक काफी अनलाइक सिनेरियो लगता है, लेकिन इजराइल और ईरान दोनों देशों के पास न्यूक्लियर वेपंस होने के बड़े चांसेस हैं। तो इन दो देशों के बीच में होने वाली वॉर भी एक काफी डेंजरस सिचुएशन क्रिएट कर सकती है। दुनिया दो ग्रुप्स में बट सकती है, जहां एक तरफ रशिया, ईरान, और चाइना होगा, और दूसरी तरफ अमेरिका, इजराइल, और पूरा यूरोप।

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Prince Ranpariya

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