Best Mutual Fund For SIP in 2024 | Start Investing In SIP By 500 Rupees

Mutual Fund

Mutual Fund: देखो, जिनके पास बहाने करने की आदत है, वे हमेशा बहाने ढूंढ़ते रहेंगे कि पहले पैसा कमाने के बाद ही इन्वेस्टिंग करें। लेकिन आज हम ₹500 महीना इन्वेस्ट करने के बारे में बात करेंगे। म्यूचुअल फंड के अलावा, क्या और विकल्प हमारे पास हैं इस छोटे से निवेश से बड़ा रिटर्न प्राप्त करने के लिए? हम कुछ लोगों को स्मार्ट SIP और Step-up SIP की चर्चा करते हुए भी देखते हैं, ताकि इस छोटे निवेश से भी बड़ा लाभ हो सके।

पैसा कहा कहा इन्वेस्ट कर सकते है: Mutual Fund

पहले हमें यह समझना है कि कहाँ पैसा लगाना चाहिए और कहाँ नहीं। कौन सी चीजें खरीदनी चाहिए और कौन सी नहीं? आजकल मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यही एक बड़ी समस्या है। संयम रखना और समझदारी से निवेश करना जरूरी है, न कि पैसा बेकार जगहों में लगा देना।

रियल एस्टेट

इन्वेस्टिंग के विकल्पों में शामिल हैं: नॉर्मल रियल एस्टेट (रियल एस्टेट में निवेश करना), लेकिन यह महंगा हो सकता है। आजकल मध्यम वर्ग के पास बचत के लिए सही तरीके की नहीं है। अगर आपके पास बड़े नकद पैसे हैं, तो रियल एस्टेट में प्लॉट का निवेश एक विकल्प हो सकता है।बेहतर निवेश के बारे में इससे बेहतर कुछ नहीं है। मैं आपको बता देता हूं कि हमने दूसरा विकल्प काट दिया क्योंकि हम अपने आप को क्या कह रहे हैं। मध्यम वर्ग के लोग 5000, 10000, 15000 रुपये का निवेश कर ढूंढ रहे हैं, उसे काट दें।

सोना, रेकरिंग डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट

दूसरा, सोना। यह एक ठीक-ठाक निवेश है। बहुत बेहतर नहीं, लेकिन इसके लिए बहुत पैसा चाहिए नहीं। आपके पास नहीं है सर। स्टार्टअप में पैसा लगाने के लिए भी लाखों या करोड़ों की आवश्यकता है। यह भी आपके पास नहीं है, तो इसे भी काट दें। यहां रेकरिंग डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट करा लो।

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए भी बड़ी राशि की आवश्यकता होती है। तो, आप रेकरिंग डिपॉजिट कराओ, हर महीने 500, 1000, या 2000 रुपये, बैंक आपको देगा, और कुछ सर्टेन परसेंटेज पर। ठीक है? इसमें भी दिक्कत है, क्योंकि जो रिटर्न मिल रहा है, वह महंगाई दर से कम है। आपको 6 से 7 परसेंट मिल रहा है, जो कि महंगाई से अधिक नहीं है। 6 से 7 परसेंट में, कुछ-कुछ चीजें 10 परसेंट में, कुछ-कुछ चीजें 15 परसेंट में जाना चाहिए। फिर भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि क्या खाक उखाड़ लोगे? हालांकि, यहां का पर्पस अलग है। इसका पर्पस है इमरजेंसी फंड बनाना। अगर किसी इमरजेंसी में जरूरत पड़ जाए, तो यह बहुत उपयोगी है। लेकिन हम जहां निवेश की रिटर्न की बात कर रहे हैं, यह तो बहुत बुरी चीज है, बेकार है।

पीपीएफ

फिर आप पीपीएफ में जा रहे हैं, पोस्ट ऑफिस में मासिक निवेश करेंगे, क्या मिलेगा सर, 6 से 7 परसेंट? फिर भी यहां भी उचित नहीं है, क्योंकि महंगाई दर से भी नीचे है। फिर आप एलआईसी के एजेंट से मिलेंगे, एंडोमेंट प्लान ले आएंगे, उसे 20 साल में डबल हो जाएगा, 15 साल में डबल हो जाएगा सर, लेकिन आपको उसके रेट ऑफ रिटर्न देखने होंगे, यहां भी वही स्थिति है। इसके बाद आता है स्टॉक मार्केट, जिसमें हमको डर लगता है कि कौन सी कंपनी डूब जाएगी, और पैसा भी डूब जाएगा, यहां भी जानकारी, समझ, और अनुभव चाहिए, जो नहीं है। तो यह स्टॉक मार्केट का विकल्प भी छोड़ दें। एक ही बचत है, एसआईपी म्यूचुअल फंड। मध्यम वर्ग के लोग हमेशा लाचार बोलने में पीछे नहीं हटते। अरे, स्टॉक मार्केट तो हमें आता ही नहीं, रियल एस्टेट के लिए तो पैसा ही नहीं है।

स्टेप अप SIP

स्टेप अप SIP हर साल आपको 10 10 % पर थोड़ा थोड़ा बढ़ाते रहना चाहिए और हमने साथ में इंफ्लेशन की जरा बात कर ली कि अगर आप 40 साल बाद आप को 15 करोड़ मिल रहा है तो उस 15 करोड़ की इन्फ्लेटेड वैल्यू महंगाई के हिसाब से एडजस्ट करके वैल्यू जो आएगी तकरीबन 3 करोड़ के आसपास आएगी तीन साढ़े करोड़ के आसपास तो बहुत सारे लोग अरे ये तो आपने पहले बताया नहीं पहले भी आपने बोला था। एसआईपी करने के लिए लेकिन उस टाइम क्यों नहीं बताया। 15 करोड़ 3 करोड़ रह जाएगा अब हम एसआईपी करवे नहीं करेंगे अरे मेरी बात सुनो

इंफ्लेशन का प्रभाव

इंफ्लेशन का प्रभाव कौन से इन्वेस्टमेंट पर नहीं होगा? रियल एस्टेट पर नहीं होगा? स्टॉक मार्केट पर नहीं होगा? आप एफडी पर नहीं होगा कहां नहीं होगा महंगाई से कहां बच जाओगे, तो एसआईपी का जब मैंने कैलकुलेट करके आपको बताया कि 15 करोड़ के बजाय आपका 3 करोड़ उस वैल्यू रह जाएगी इंफ्लेशन का प्रभाव तो पैसे पर पड़ना है चाहे वह पैसा कहीं से भी कैसे भी आ जाए ? आपको अभी बताता हूं इस पर भी आता हूं थोड़ा और डिटेल में बात करता हूं। इंफ्लेशन कब हमें ज्यादा मार कब हमें कम मारता है इंफ्लेशन से कैसे बच सकते हो।

आप वह भी अभी बताता हूं ठीक अब जरा कैलकुलेटर पर आते हैं सर यह देखो मैंने खोल रखा है लेकिन कल को जब 10 साल 15 साल बाद पैसा जब जरूरत पड़ेगा कहां से लाओगे अरे महंगाई के चक्कर में हमने तो एसआईपी किया ही नहीं था। महंगाई से बच नहीं सकते आप एसआईपी हो या दुनिया का कोई भी इन्वेस्टमेंट हो कमाई हो।

10-10% थोड़ा-थोड़ा बढ़ाना चाहिए

किस किसी भी सोर्स से अगर स्टेप अप एसआईपी करें, हर साल आपको 10-10% थोड़ा-थोड़ा बढ़ाना चाहिए। हमने साथ में इंफ्लेशन की बात की है, अगर आपको 40 साल बाद 15 करोड़ मिल रहा है, तो उसकी इंफ्लेटेड वैल्यू महंगाई के हिसाब से लगभग तीन करोड़ के करीब आएगी। बहुत से लोग कहेंगे कि आपने पहले इस बारे में क्यों नहीं बताया? पहले भी हमने सलाह दी थी, लेकिन इस बारे में नहीं बताया कि 15 करोड़ का वैल्यू बढ़ेगा। अब हम सीख लें और स्टेप अप करें या ना करें, इस पर निर्णय करें।

इंफ्लेशन का प्रभाव हर इन्वेस्टमेंट पर पड़ता है। रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट, एफडी – सभी पर यह प्रभाव होता है। अब आपको बताता हूं कि 15 करोड़ के बजाय आपका न करोड़ होगा। इंफ्लेशन से कैसे बचा जा सकता है, इसकी भी चर्चा करते हैं।

इंफ्लेशन जब हमें ज्यादा मारता है और कब हमें कम मारता है, इस पर भी विचार करें। सोचिए कि 10-15 साल बाद पैसा जब जरूरत पड़ेगा तो कहां से लाएंगे? इस बारे में भी विचार करें, क्योंकि महंगाई का सामना हर इन्वेस्टमेंट से होता है। आपको सोचना होगा कि इसमें किस तरह की इन्वेस्टमेंट सुरक्षित हो सकती है।

SIP कैलकुलेटर

अब आ जाओ, हमें 500 वाले ₹500 के SIP कैलकुलेटर अब हमने खोल लिया है सर, एंजल वन। अब एंजल वन पर आपको जरा दिखाता हूं, इस कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके कि हमें ₹1,00,00,000 मेंरे को चाहिए तो कितना समय लगेगा। हमको 1 करोड़ हां, इंफ्लेशन का इंपैक्ट वहां भी होगा, ठीक ₹500 अगर मैं लगा रहा हूं और 30 साल के लिए इन्वेस्ट कर रहा हूं, तो और रेट ऑफ़ रिटर्न आप लगभग 15% एक्सपेक्ट कर सकते हो लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड में किस तरह के म्यूचुअल फंड में कर सकते हैं किस तरह में नहीं, वो सब भी अभी बताऊंगा।

सही म्यूचुअल फंड कैसे चुनना

म्यूचुअल फंड में क्या लफड़े हैं, उससे कैसे बचना है, सही म्यूचुअल फंड कैसे चुनना है, अभी वो भी बताऊंगा। मोबाइल फोन पर डेमो करके भी दिखाऊंगा। अच्छा, एंजल वन आपको भी डाउनलोड करना है, तो हमने लिंक दे रखा है, क्योंकि उसी पर मैं आज को आज आपको आज डेमो भी करके दिखाऊंगा। अगर 15% पर के हिसाब से हम लेते हैं, तो रुपया 500 अपना कितना बन रहा है, 35 लाख हमारा इन्वेस्टमेंट अमाउंट सिर्फ 1,80,000 जो हमने दिया है वो सिर्फ 1,80,000 दिया है, बदले में लाख हमको ऐड करके मिल रहा है, तो टोटल रिटर्न 35 लाख रुपए हमारा है।

हम अगर इसी को 40 साल कर देते हैं, तो 40 साल अगर हम लेते हैं रुपया 500 कर देते हैं 15% पर के हिसाब से, तो सर, 1.6 करोड़ बन जाता है। ढ़ करोड़ रुपए, यह 500 रुपये की ताकत है। इसका इन्फ्लेशन के हिसाब से अगर देखोगे तो यह 23 लाख बनता है, मतलब 23 लाख जितनी औकात आज है, ना जितना आज आप 2 लाख को बड़ा समझते हो, वो उस समय समझो मिलेगा, डेढ़ करोड़ ही लेकिन उस डेढ़ करोड़ की औकात 23 लाख रहेगी, ठीक है।

अब थोड़ा विस्तार से बताते हैं। अगर हम 500 रुपये से समझ गए कि हमें एक करोड़ रुपये कमाना है, तो 500 रुपये से ऐसा कैसे संभव है? लेकिन अभी बहुत कुछ समझना बाकी है। एक बात समझनी चाहिए – म्यूचुअल फंड के प्रकार और उनमें निवेश करने का तरीका।

एक्टिव म्यूचुअल फंड

पहले, एक्टिव म्यूचुअल फंड होते हैं, जिन्हें फंड मैनेजर्स संचालित करते हैं। जब आप इस तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा फंड मैनेजर के हाथों में होता है। यह मैनेजर बाजार की स्थिति के आधार पर फैसले लेता है कि आपका पैसा किस शेयर या कंपनी में निवेश करना चाहिए। अगर उनका फैसला सही होता है, तो आपको फायदा होता है, लेकिन अगर गलत होता है, तो नुकसान भी हो सकता है। इसके अलावा, इन फंड्स की एक्सपेंस रेश भी ली जाती है।

दूसरे Mutual Fund होते हैं पैसिव

दूसरे प्रकार के म्यूचुअल फंड होते हैं पैसिव, जिन्हें फंड मैनेजर संचालित नहीं करता है। इन फंड्स का मैनेजमेंट किसी इंडेक्स को कॉपी करता है, जैसे निफ्टी या सेंसेक्स। इसमें निवेश की जाने वाली कंपनियों का चयन उस इंडेक्स के हिसाब से होता है, इसलिए यहाँ रिस्क कम होता है। इसमें फंड मैनेजर का विचार नहीं होता, इसलिए वे सेफ इंवेस्टमेंट्स माने जाते हैं।

इसलिए, म्यूचुअल फंड्स में इंडेक्स फंड्स एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं, खासकर सेफ्टी की दृष्टि से। एक्टिव फंड्स के मुकाबले, इन्हें मैनेज करना समझ और समय की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके साथ ही, इनकी एक्सपेंस भी कम होती है।

जब उसका मन हराम हो जाता है, तो उसकी कैलकुलेशन खराब हो जाती है और नुकसान भी झेलना पड़ता है। यहां तक कि टॉप 50 कंपनियों में हमारा निवेश है, तो वहां के फैसले का सीधा असर हमारे पैसे पर होगा। मैं इंडेक्स फंड को भी निफ्टी पर ज्यादा भरोसा देता हूं, क्योंकि वहां के ग्राफ में स्थिरता नजर आती है। आपको इस बारे में और बताऊं?

Index Mutual Fund

जब आप लंबे समय तक निवेश करते हैं, तो एक चीज स्पष्ट होती है: ग्रोथ होगी। शॉर्ट टर्म में न्यूनतम गिरावट हो सकती है, लेकिन लंबे समय में, निवेश बढ़ता ही जाता है। मेरी पसंद बार-बार म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने की है, खासकर पैसिव म्यूचुअल फंडों में। एक्टिव म्यूचुअल फंडों में निवेश कम होता है, लेकिन कई बार ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। हालांकि, डेटा दिखाता है कि 80% के करीब म्यूचुअल फंड इंडेक्स फंड के साथ ही बराबर रिटर्न दे पाते हैं।

रिटर्न नहीं मिलते हैं, और उसमें अधिक रिस्क भी होता है। एक्सपेंस रेशियो भी अधिक होता है। इसके बावजूद, इंडेक्स फंड में निवेश करना मेरी प्राथमिकता बनी रहती है क्योंकि वहाँ कमीशन भी कम होता है, रिस्क भी कम होता है, और बाजार के साथ बीट करना भी आसान होता है। तो, अगले कदम की ओर बढ़ते हैं!

दो तरह के विकल्प

जब आप म्यूचुअल फंड चुन रहे हों, तो आपके सामने दो तरह के विकल्प होते हैं: एक लो रिस्क वाला और एक हाई रिस्क वाला। हाई रिस्क वाले फंड किसे कहते हैं और लो रिस्क वाले कौन होते हैं? जब आप स्मॉल कैप फंड्स का चयन करते हैं, तो सभी वे म्यूचुअल फंड्स हाई रिस्क में आते हैं जिनकी सूची में “स्मॉल कैप” लिखा होता है। वहीं, जो भी फंड्स में “लार्ज कैप” या “इंडेक्स फंड” लिखा होता है, वे लो रिस्क वाले होते हैं। मैंने अब तक देखा है कि इंडेक्स फंड्स जैसे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने पर पांच से 10 साल में अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।

स्मॉल कैप फंड मैनेजर्स के पास रिस्क प्रेशर ज्यादा होता है

ये 10% 10% पर देते हैं कम देते हैं शुरुआत में कम होता है क्योंकि फ्लक्ट एशन ज्यादा होता है लॉन्ग टर्म में 15 साल से ऊपर अगर आप देखो तो 15 % पर के ऊपर मिल जाता है 10 से 15 साल के ईयर का आप देखोगे तो लगभग 12% पर के आसपास का रिटर्न होता है सर हाई रिस्क वाले में जस्ट उल्टा होता है शॉर्ट टर्म में ये बहुत ज्यादा देंगे बहुत ज्यादा स्मॉल कैप वगैरह में देखोगे आप कैलकुलेटर यूज कर ही सकते हो आप अभी दिखा भी दूंगा लास्ट में आपको 10 से 15 साल में जाओगे तो 15 % पर के आसपास देखा जाता है 15 साल से ऊपर जाओगे 12% पर आप देखो

जितना लंबे ड्यूरेशन के लिए आप स्मॉल कैप रिस्की फंड में इन्वेस्ट करते हो उतना रिटर्न घटता चला जाता है कारण क्या है एक स्मॉल कैप फंड में अगर 20 कंपनियां हैं तो उनमें से चार पांच कंपनियां तो निपट जाती है खेल खत्म हो जाता है उनका 20 साल 25 साल बाद ऐसा होता है स्मॉल कैप फंड में स्मॉल कैप फंड मैनेजर्स के पास रिस्क प्रेशर ज्यादा होता है

स्मॉल कैप फंड: शॉर्ट टर्म के लिए ठीक है

यदि आप स्मॉल कैप फंड चुनते हैं तो शॉर्ट टर्म के लिए ठीक है, थोड़ा और क्लेरिटी और प्रकाश डालने में अधिक मदद मिलेगी। मैं आपको एक डेमो दिखाऊंगा ताकि आपको तानाव का अनुभव न हो। अब, जब हम म्यूचुअल फंड की बात करते हैं, तो आपको दो तरह के म्यूचुअल फंड मिलेंगे। यह सब वर्ड न नाम में आपको मिलेगा। म्यूचुअल फंड ग्रोथ प्लान या IDWC के वर्ड आपको मिलेंगे। आपको हमेशा ग्रोथ वाला चुनना चाहिए। ग्रोथ फंड दो साल या तीन साल के बाद कई सारे फंड मैनेजर्स डिविडेंड्स रिलीज करते हैं। डिविडेंड समझते हो ना?

रिटर्न परसेंटेज वो आपको एस अ गिफ्ट मान लो। जब वो गिफ्ट आपको पैसे के फॉर्म में लौटा दिया जाता है, तो उसको कंपाउंड होने का मौका मिलता है। एसआईपी क्या है?

रिस्क लेना है तो पैसिव Mutual Fund

उसके बाद, आपको इक्विटी, डेट फंड, और हाइब्रिड फंड देखने की सलाह दी जाती है। इक्विटी का मतलब है स्टॉक मार्केट की कंपनियों का हिस्सा, जो कि स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। वहीं, डेट फंड का मतलब है कर्ज गवर्नमेंट बॉन्ड्स की ग्रोथ, जो कम होती है लेकिन आपको एफडी के बराबर रिटर्न प्रदान करती हैं। एफडी इससे थोड़ा बेहतर हो सकता है, लेकिन इसमें कम रिस्क होता है जबकि डेट फंड में कुछ रिस्क होता है लेकिन आधारित रिटर्न दिया जाता है।

जब एक करोड़ का रिटर्न होता है, तो उसका 3% यानी ₹ 3 लाख होता है। पहले, जब 90 लाख रिटर्न हो रहा होता है, तो एक साल पहले ही हर साल का लाभ लिया जा सकता है। इससे मतलब यह नहीं कि आपको हर साल लाभ होगा, क्योंकि बड़ा लाभ बड़ा डेट लिया जाता है और आपके पैसे पर बड़ा डेंट मारता है। इसलिए, म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आपको सोचना चाहिए कि कम से कम डेट कैसे होगा। एक्टिव म्यूचुअल फंड कभी-कभी इस तरह के लाभ के आसपास होते हैं, जबकि पैसिव म्यूचुअल फंड (जैसे कि इंडेक्स फंड) की मुकाबला में गुना कम रिस्क होता है। इसलिए, अगर आपको कम रिस्क लेना है तो पैसिव म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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Prince Ranpariya

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