Zomato क्या सच में बन जाएगा $100 Billion की कंपनी? | Know in Details | Secret of Success

Zomato

अरे, यह क्या हो गया है Zomato के शेयर का जो एक समय में गिरते-गिरते ₹40 पर पहुंच गया था, वह आज ₹200-200 के हाई पर बना रहा है? क्या हो गया है ऐसा कि ये जट का शेयर ऐसा नाचना जारी रख रहा है? जब इसका आईपीओ आया था, तो वह बंपर गेन किया था, 66 पर लिस्टिंग हुआ और 75 के शेयर पर लिस्ट हुआ, फिर 125 में गया, फिर धीरे-धीरे 150 तक पहुंचा, और फिर सीधे 70% तक धड़ाम होकर ₹440 पर पहुंच गया। और फिर पता नहीं पिछले एक डेढ़ साल में क्या जादू कर दिया कि वह फिर से ₹200 के हाई पर बना रहा है। कुछ एनालिस्ट बोल रहे हैं शायद 250 भी मारे कोई 300 भी ले जा रहा है।

पिछले 1 साल में 250% से ज्यादा का गेन दिया गया है। पिछले 9 महीनों में 1 लाख करोड़ का मार्केट कैप बढ़ गया है, और इंडिया की टॉप 50 कंपनियों में से एक हो गया है। तो भाई, ऐसा क्या हो गया जोमेटो में? आज सारे सवालों के जवाब देने वाला हूं। क्यों ये आईपीओ लेकर आए थे? क्यों आईपीओ बंपर लिस्ट हुआ? बाद में इनके शेयर क्यों टूटे? और ऐसी कौन सी स्ट्रेटजी? और चेंजेज इन्होंने अपने बिजनेस मॉडल में किए कि अब 40 का शेयर 200 तक पहुंच गया है।

क्यों Zometo आईपीओ लेकर आए थे? क्यों आईपीओ बंपर लिस्ट हुआ?

तो इन सभी सवालों के जवाब देंगे और एक-एक स्ट्रेटेजी को डिस्कस करेंगे जोमेटो ने। ये आप अपने बिजनेस में भी लगा सकते हैं अगर बिजनेसमैन हैं, किसी बिजनेस के एनालिसिस में भी काम में ले सकते हैं अगर इन्वेस्टर हैं या स्टॉक मार्केट को वैसे ही जानना चाहते हैं, या जिंदगी में भी जब नीचे चले जाएं तो ऊपर कैसे आया जाता है। ये सभी चीजें सीखने को मिलेंगी आज के लेख में।

अब Zomato के नाम कैसे पड़ा, कैसे यह कंपनी बनी, पहले क्या करती थी, और आईपीओ तक कैसे पहुंची, आईपीओ लायक क्यों बनी, फिर ऊपर क्यों गई, फिर नीचे क्यों गई, और फिर वापस ऊपर कैसे गई, सभी स्ट्रेटजी और इसका फ्यूचर बताएंगे। सबसे पहली बात यह कि आईपीओ क्यों लाए, नहीं लाए, भाई साहब? ये तो कोरोना के बाद से भयंकर लहर थी, लोग डरे हुए थे कि बाहर का दूध की थैली भी आ रही थी, तो धोके के काम में ले रहे थे। ऐसे टाइम पर बाहर से खाना कौन बनाएगा?

जोमट का बिजनेस कोविड की पहली लहर के बाद डाउन हो गया था, अब सोचो, खर्चे तो वहीं के वहीं हैं, ब्याज तो वहीं का वहीं, किराया तो वहीं का वहीं, और रेवेन्यू 90 पर डाउन क्या हालत हो गई होगी फाइनेंस की? अब ऐसे टाइम पर भाई साहब कोई इन्वेस्टर पैसे भी नहीं देता। इन्वेस्टर ग्रोथ कंपनी को देगा ना? ऐसे टाइम पर कौन देगा पैसे से? बाकी सभी इन्वेस्टर जा रहे थे, एक इन्वेस्टर था एंट फाइनेंशियल करके वो चाइना से था, कि चलो जी हम दे देंगे 150 मिलियन वो मिल जाते तो निहाल हो जाता।

चाइना ने अपनी औकात दिखा दी: Secret of Success of Zomato

उस समय गलवान घाटी में टेंशन हो गया, चाइना ने अपनी औकात दिखा दी, तो गवर्नमेंट ने एक रूल पास कर दिया, कि भाई साहब ये चाइना की कंपनी या इंडिया की कंपनी में इन्वेस्ट करके खूब प्रॉफिट कमा रही है, और ज्यादा ही कंट्रोल ले रही है, अब किसी चाइनीज कंपनी को अगर इंडियन कंपनी में इन्वेस्ट करना है, पहले हमसे अप्रूवल लेना पड़ेगा। और ऐसे टाइम पर कौन देगा अप्रूवल? तो जो फंडिंग आनी थी वह अटक गई, तो भाई साहब, जोमेटा के फाइंडर बोले कि भाई साहब पैसे ही नहीं थे जो पुराने थे, वो खत्म हो गए।

नए लोग दे नहीं रहे, तो कहां से जाएं? फिर गए जनता के पास। तो आईपीओ लाना प्लानिंग नहीं मजबूरी थी, तो आईपीओ की प्लानिंग हो गई चालू। उस समय किस्मत ने थोड़ा सा मेहरबानी दिखाई, और उस समय क्या हुआ, दो-तीन चीजें इनके फेवर में चली गई।

कोविड के समय में लोगों का ऑनलाइन में ज्यादा भरोसा हो गया है, तो एक यूएस में फूड डिलीवरी कंपनी, डोर डैश, जिसे लोगों का भरोसा था, फिर भी लॉस में थी। जब इसने आईपीओ किया और वह सफल हुआ, तो लोगों ने कहा कि अब इंडिया में भी इसका आना चाहिए। इसलिए एक फॉरेन इन्वेस्टर ने ध्यान देकर आईपीओ में निवेश किया, फिर भारतीय निवेशकों को भी विश्वास आया और वे भी निवेश करने लगे। इसी विश्वास और पॉजिटिविटी के कारण इस कंपनी का आईपीओ 38 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ।

66% प्रीमियम, यानी ₹75 का शेयर 125 पर लिस्ट हो गया

अंततः, 66% प्रीमियम, यानी ₹75 का शेयर 125 पर लिस्ट हो गया था। तो आपको खुश होना चाहिए कि जिंदगी में बहुत समस्याएं हैं। जीवन में कभी बड़े अप डाउन आते हैं, और उसी समय आईपीओ भी होती है। इसके बाद, रशिया ने यूक्रेन पर हमला किया। इसलिए, विदेशी निवेशक आमतौर पर पहले भागते हैं। वे अपना पैसा वापस लेने की शुरुआत करते हैं, फिर नये सब्सक्राइब के जोश से, 125 से ऊपर, 130, 140, 150 तक शेयर गए।

उन्होंने एक कंपनी खरीदी, नाम ब्लिंकड। उन्होंने 4500 करोड़ में खरीदी, लेकिन कंपनी लॉस में चल रही है। इससे आपको यह सोचने का मौका मिलता है कि उनकी स्थिति कितनी खराब है। यह कंपनी 2008 में शुरू हुई थी, और 2021-22 तक, 12-13 सालों में इसने कई साल लॉस किए हैं। यह लॉस मेकिंग कंपनी को और खरीदना उचित नहीं है, लेकिन उन्होंने ऐसा किया। ब्लिंकड की स्थिति बहुत खराब है, उनके स्टोर बंद हो रहे हैं, वेंडर्स को पेमेंट नहीं मिल रही है। ऐसी लोगों को धोखा देने वाली लॉस मेकिंग फर्मों को खरीदना उचित नहीं है। इससे निवेशकों का भरोसा भी हानि होती है। शेयर 70 पर लो हो गए, फिर 40 पर मिले।

हमारी कमबैक स्टोरी यहां से शुरू होती है। अब हम बताएंगे कौन-कौन सी स्ट्रैटेजी इसे बचाए और बड़ा बनाया। पहली स्ट्रैटेजी – लॉस मेकिंग ऑपरेशन को कम करना, जहाँ खर्चा अधिक है। यह बड़े शहरों में बहुत ही सफल हुआ। उन्होंने वहाँ के इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया और वहाँ के बाजार में प्रवेश किया।

Zomato गोल्ड को फिर से लॉन्च किया

उन्होंने 225 शहरों से वापस लौटकर अपने ऑपरेशन बंद कर दिए, तो भाईसा जो वहाँ से नुकसान हो रहा था, उसे भी बंद कर दिया गया। साथ ही, कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी उन्हें नुकसान हो रहा था। उन्होंने वहाँ से भी वापसी कर ली। दूसरा कदम यह लिया गया कि वह कम लागतों में काम करें। पहले तो वे इन शहरों में ऑपरेशन बंद कर दिए, जिससे लागतें कम हो गई। दूसरा, जब काम ही नहीं है, तो कर्मचारी क्या करेंगे? उस समय उन्होंने अपने इम्प्लाईज़ का 4% हिस्सा, लगभग 150 लोगों को फायर कर दिया। इससे उनकी लागत भी कम हो गई। तीसरा कदम यह था कि खर्चों को दो जगह से कटौती करके इनकम को बढ़ाया जाए।

वह वर्तमान स्रोतों से थोड़ी बढ़ाई गई कीमत लेते हैं। उन्होंने रेस्टोरेंट से 27% कमीशन बढ़ाकर 33% कर लिया। इससे उनके मुनाफे में थोड़ा सा इम्प्रूवमेंट हुआ। चौथा कदम यह था कि उन्होंने देखा कि कैसे रेवेन्यू को बढ़ाया जाए। उन्होंने वर्तमान व्यवसाय का विश्लेषण किया और यह देखा कि उनके मुख्य ग्राहक कौन हैं जो अधिक ऑर्डर करते हैं। उन्होंने कुछ प्रोग्राम शुरू किए जैसे कि जोमैटो गोल्ड, जिसमें कुछ स्ट्रक्चरल विवाद थे।

रेस्टोरेंट वालों की हड़ताल के बाद, वे जोमैटो गोल्ड को फिर से लॉन्च किया। इसमें एक निश्चित शुल्क है। उनके 3.8 मिलियन सब्सक्राइबर्स ने जोमैटो गोल्ड को लिया, जिससे सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू बढ़ गई। लेकिन इसमें एक परेशानी है, जोमैटो गोल्ड से एक बार पैसे मिलते हैं, फिर उन्हें कुछ डिलीवरी फ्री करनी पड़ती है, कुछ फास्ट डिलीवरी करनी पड़ती है, और कुछ डिस्काउंट भी देना पड़ता है। इससे कंपनी को नुकसान हो सकता है। वास्तविक ऑर्डर से जो जोमैटो गोल्ड के पास नहीं है, उसमें अधिक मुनाफा है क्योंकि वहाँ डिस्काउंट नहीं देना पड़ता, और फास्ट डिलीवरी की जरूरत नहीं होती।

मैं बोलूंगा, “अपना तो गोल्ड वाला है।”

फ्री डिलीवरी करनी पड़ती है लेकिन भाई साहब, आपकी बात बिल्कुल सही है। जोमैटो गोल्ड ऑर्डर में प्रॉफिट जरूर कम होता है, लेकिन इस चक्कर में फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है। मान लो, मैं कभी जोमैटो से कर रहा हूं, कभी स्विगी से, कभी किसी तीसरी जगह से, लेकिन अगर मेरे पास जोमैटो गोल्ड है, मैं स्विगी की तरफ देखूंगा भी नहीं। मैं किसी तीसरी जगह जाऊंगा ही नहीं। मैं बोलूंगा, “अपना तो गोल्ड वाला है।”

इससे बढ़ती फ्रीक्वेंसी और जब फ्रीक्वेंसी बढ़ती है, तो ओवरऑल वॉल्यूम भी बढ़ता है। और जब ओवरऑल वॉल्यूम बढ़ता है, तो मार्जिन में हम ठीक-ठाक कमा ही लेंगे। प्लस, अगर वॉल्यूम ज्यादा बढ़ता है, तो हम एडवर्टाइजमेंट के माध्यम से, हम रेस्टोरेंट के कमीशन के माध्यम से वहां दो पैसे कमा लेंगे। इससे लॉसिंग मार्केट से बाहर निकल गए एंप्लॉई को निकाल दिया, प्लेटफॉर्म फीस बढ़ा दी और रेस्टोरेंट से कमीशन बढ़ा दिया। जोमैटो गोल्ड ले लिया, अब क्या करें? क्या करें? क्या करें? हाँ।

एक प्लेटफॉर्म फी भी लगा दो साहब, तो इन्होंने पहले ₹2 की थी, फिर उसको बढ़ा के तीन-चार कर दी, अब शायद होते-होते खबर आ रही है कि इसको भी बढ़ा के ₹4 और कर दिया है। तो पर ऑर्डर पे ₹5 अलग से और कमाएंगे भाई साहब। उसके अलावा, नए-नए मार्केट में एंटर कर रहे हैं, ऐसी-ऐसी चीजें कर रहे हैं जो पहले कभी की नहीं। जैसे आजकल ये फूड इवेंट ऑर्गेनाइज करा के उसके टिकट बेचने लग गए।

346 करोड़ के लॉस से उठके 132 करोड़ के प्रॉफिट में: Zomato

जिसमें कई रेस्टोरेंट वाले कोई फूड फेस्ट ऑर्गेनाइज कर देते हैं, कभी ये खुद ऑर्गेनाइज कर देते हैं, उस इवेंट के मैनेजमेंट और टिकटिंग का बिजनेस भी शुरू कर दिया है। तो उससे भी एडिशनल रेवेन्यू आ रहा है। तो ये थे जट के छह छोटे-मोटे चेंजेज जिसकी वजह से ये 346 करोड़ के लॉस से उठके 132 करोड़ के प्रॉफिट में आ गए। मात्र 1 साल में, आपको क्या लगता है, सिर्फ इन छह चीजों की वजह से आएंगे दो बड़ी-बड़ी चेंज किए हैं जिसकी वजह से ही आगे पहुंचे हैं? वो दो चेंज क्या हैं? और लास्ट में, मेरा ओपिनियन क्या है? मास्टर स्ट्रोक अभी तो ये जो छह चेंजेज थे, ना, छोटे-मोटे छुट्टू-मुट्टू चेंज थे।

अब जो दो बड़े बदलाव हुए हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला बदलाव यह है कि हाइपर प्योर ने किया है। यह क्या है, यह पहले भी बताया गया था कि कुछ ऐसा ही होगा, लेकिन अब यह हो चुका है। इसने एक बड़ा सफलतापूर्ण लॉन्च किया है। हाइपर प्योर में रेस्तरां को वह सब कुछ उपलब्ध कराता है जो आवश्यक होता है। रेस्तरां की आर्डरिंग तो फ़्रंट एंड कर रहा है, बैक एंड में सब कुछ उपलब्ध है।

जोमेटो बोलता है कि हमसे ही लो, वे 50 वेंडर छोटे आउटलेट देंगे। हाइपर प्योर उन्हें बड़ा ऑर्डर देता है और उन्हें बेहतर रेट और डील्स प्राप्त होती हैं। इसके माध्यम से, हाइपर प्योर बीटू बी सेलर बन गया है, जो रेस्तरां की जरूरतों को पूरा करता है और अच्छा फायदा दिलाता है।

Zomato को 2030 तक बहुत बड़ा होने का अवसर है।

इस स्टार्टअप ने लिस्टिंग भी की है और वो प्रॉफिटेबल भी है। अब उनका प्रॉफिट बहुत बढ़ गया है और ये कम्पनी बहुत अच्छे नुकसान से फायदे में पहुंच गई है।

दीपेंद्र गोयल जी तो बहुत खुश हैं। उन्होंने नई गाड़ी ली है और अब बहुत अच्छी शादी की है। उन्हें लगता है कि जोमेटो को 20 बिल्लियन से 100 बिल्लियन डॉलर की कंपनी बनाना चाहिए, और वो यह 2030 तक कर सकते हैं। कंपनी की ग्रोथ बहुत तेज है, जोमेटो को 2030 तक बहुत बड़ा होने का अवसर है।

वही 35 बिलियन रहेगा, पूरा का पूरा ले जाओगे तो 35 बिलियन ही होगा, तो पूरा थोड़ी ले जाओगे बाकी लोग भी तो हैं। तो भाई साहब, इन्होंने कहा कि सुनो, हम इसके भरोसे नहीं बैठे। फूड डिलीवरी भी आएगा, लेकिन हमारा हाइपर प्योर भी कंट्रीब्यूट करेगा, और हमारा मास्टर स्ट्रोक वो होगा, जिसके चक्कर में तुमने हमारी वैल्युएशन गिरा दी थी। वही ब्लिंक इट ये कह रहे हैं ब्लिंकड जो है ना, वो है असली ब्रह्मास्त्र। ये फूड डिलीवरी से भी ज्यादा और हाइपर प्योर से भी ज्यादा एक दिन रेवेन्यू करके देगा हमको। और उसके दम पे हम कह रहे हैं कि ये तीनों चीजें एक साथ मिलेगी तो बन जाएंगे हम 100 बिलियन डॉलर की कंपनी और एक बिलियन डॉलर का प्रॉफिट।

क्या बोलती है? पब्लिक

फिर इसका एनालिसिस करते हैं, फिर जोमेटो का करेंगे, क्या बोलती है? पब्लिक बलिंट के बारे में कहते हैं कि देखो जी, फूड डिलीवरी की तुलना में, ये वाला काम ज्यादा है। फूड डिलीवरी में तो क्या है, तुम दिन में एक बार मंगाओ, दो बार मंगाओ, लिमिटेशन है। ब्लिंकड में तो भाई साहब, तुम्हारे पास घर में कितनी चीजें मंगाने की हैं? तुम दिन में चार बार, पांच बार भी मंगा सकते हो, 365 दिन मंगा सकते हो।

तो इसका स्कोप ज्यादा है और फूड डिलीवरी तो काफी 2015 से चल रहा है, तो 9 साल में काफी मैच्योर मार्केट हो गया। अभी स्कोप इसमें है, लेकिन भाई साहब, ये तो अभी चालू हुआ है। असली स्कोप तो इसमें निकल के आएगा। क्विक कॉमर्स में कई लोग कहते हैं, अरे 10 मिनट में डिलीवरी करने में, भैया कॉस्टिंग भी तो ज्यादा आएगी। आधे घंटे में डिलीवरी करने में, कॉस्टिंग भी तो ज्यादा आएगी। और तुम्हारी ऑर्डर वैल्यू तो कुछ होती ही नहीं है।

कोई दूध की थैली मंगा रहा है, कोई पनीर ही मंगा रहा है, कोई ब्रेड ही मंगा रहा है, तो कोई छोटे-छोटे आइटम है। इससे तुम्हारी AOV (एवरेज ऑर्डर वैल्यू) कैसे बढ़ेगी। और जब तक एवरेज ऑर्डर वैल्यू नहीं बढ़ेगी, तुम्हारा नुकसान ही होता रहेगा। तो ब्लिंकड ने कहा, टेंशन न कोरे, इसको भी प्रॉफिटेबल बनाएंगे। और उन्होंने ऐसा बिजनेस मॉडल में चेंज किया है जिससे ने लग गया आपको। मैं कहता हूं कि सर, ब्लैंकेट करके एक ऐप है। इस ऐप से क्या मंगाओ ग आप सोचते हो सर? वही दूध, ब्रेड, चीनी, यह घर के छोटे मोटे आइटम। और क्या सर जी, इन्होंने iPhone डिलीवर करना चालू कर दिया।

सबसे बड़ा एडवांटेज क्या है?

अब वे यह कह रहे हैं कि कपड़े भी डिलीवर कर देंगे, जूते भी डिलीवर कर देंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स भी डिलीवर कर देंगे। इससे क्या फायदा होगा? पहला फायदा होगा इनकी औसत आर्डर वैल्यू बढ़ जाएगी। इन सभी आइटम में हाई मार्जिन है, इसलिए इनकी औसत आर्डर वैल्यू अब तक ₹ 6635 तक पहुंच गई है, और ये धीरे-धीरे इसे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। अभी रिसेंट सेंटली इनका जो बेस्ट हाईएस्ट एवर सेल्स जो रहा हाईएस्ट एवर सेल पूरी लाइफटाइम में कौन से डे को हुई वैलेंटाइन डे को बोले साहब ने खूब टेडी दिए, खूब रोज दिए, खूब गिफ्ट दिए, खूब चॉकलेट दी। इनकी एडवरटाइजिंग से जो रेवेन्यू है,

वह 220 पर बढ़ गया है। टोटल 557 एडवर्टाइज ऑन बोर्ड आ चुके ब्लैंकेट के जो फाइनेंशियल ईयर 22 में 1440 करोड़ का लॉस था, वह अब 89 करोड़ के बिड्डा लॉस में कन्वर्ट हो चुका है और हो सकता है आने वाले एक दो क्वार्टर में ये भी प्रॉफिटेबल हो जाए। अब इनको सबसे बड़ा एडवांटेज क्या है? साल का डेटा है, किस एरिया में कौन लोग बैठे हैं, क्या चाहते हैं, क्या नहीं चाहते। एक ट्रस्ट है वो, ट्रस्ट और वो जो सिस्टम है उसकी वजह से इनकी आर्डरिंग एफिशिएंसी बहुत फास्ट है, वर्किंग कैपिटल की रिक्वायरमेंट कम होती है।

सिर्फ दो कंपीटीटर हैं – Swiggy and Zomato

इसके हिसाब से तो जोमेटो बहुत बढ़िया परफॉर्म कर रहा है, आगे जाके तो झंडे गाड़ देगा। आपको क्या लगता है? देखो सर, मेरा ओपिनियन मैं आपको दो मिनट में बता देता हूं। मैं कोई फाइनेंशियल एडवाइजर तो हूं नहीं, जो मैं आपको बताऊंगा शेयर लेना है, बेचना है, रखना है, वो सब आपका कॉल है। मैं तो बस अपने लेवल पे रिसर्च करता हूं और जो मैं कर रहा हूं, वो आपके साथ शेयर कर देता हूं। तो भाई साहब, आज की डेट में फूड डिलीवरी का जो मार्केट है, वो डपोली मार्केट है। सिर्फ दो कंपीटीटर हैं – Swiggy and Zomato

स्विगी में बड़ा नुकसान

वर्तमान में, स्विगी में बड़ा नुकसान हुआ है। पिछली बैलेंस शीट के अनुसार, स्विगी ने 4000 करोड़ से अधिक का नुकसान किया है। एक ओर, कुछ कंपनियां लाभदायक हो रही हैं जबकि दूसरी ओर स्विगी के 4000 करोड़ का नुकसान करने वाली कंपनी है। इस तरह की रेस, यदि हम ओपले की बात करें, तो आज की दर में जोमट जीतने की स्थिति में है, साफ नजर आ रहा है। इसी कारण, कुछ एमसी और म्यूचुअल फंड्स ने स्विगी को बड़ा निशाना दिया है। यूबीएस ने कहा है कि ₹250 तक पहुंच सकता है, जबकि जेएम फाइनेंशियल कहते हैं कि ₹260 भी हो सकता है।

कोटक ने 210 का लक्ष्य दिया है, जबकि एक एलआर कैपिटल कहता है कि यह 150 के पास है। मेरे अनुसार, यह 150 पर होना चाहिए। मार्च की बात करें तो, 68 म्यूचुअल फंड्स ने जोमेटो के शेयर खरीदे हैं, 66 ने कुछ प्रॉफिट बुक किया है, और 270 फंड्स ने न तो खरीदा है और न ही बेचा है, बस उन्होंने होल्ड किया है। म्यूचुअल फंड्स के इस प्रकार की पसंद के कारण, जोमेटो अच्छा रिजल्ट दिखा रहा है। फिर भी, मुझे लगता है कि वैल्यूएशन थोड़ा ऊंचा है। सर, टर्नओवर 3500 करोड़ का प्रॉफिट है, 10050 करोड़ रूपये और उसका वैल्यूएशन 170000 करोड़ रूपये है। मुझे लगता है कि यह कुछ ज्यादा ही महंगा है।

पैसे बनने में दो-तीन साल लग सकते हैं और डबल हो जाएं

आपके थोड़े पैसे बनने में दो-तीन साल लग सकते हैं और ये भी हो सकता है कि वे डबल हो जाएं, लेकिन इसके अलावा भी बहुत सारी कंपनियां हैं जहां आप कम रिस्क में थोड़े ही इंवेस्टमेंट से बहुत अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। यह संभव है क्योंकि कुछ स्टार्टअप्स पहले ही सफल हो गए हैं और अब प्रॉफिट बना रहे हैं। कुछ लोग कुछ जोमेटो शेयर्स खरीद कर रखना चाहते हैं, लेकिन किसी कंपनी के बारे में ज्यादा जानकारी होनी चाहिए इससे पहले कि इंवेस्ट किया जाए।

शेयर मार्केट में प्रॉफिट हासिल करना वास्तव में विशेष होता है। कुछ कंपनियां लंबे समय तक प्रॉफिट देती हैं, लेकिन कुछ कंपनियों को समय लगता है ताकि वे प्रॉफिट दे सकें। हमें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि हमारे पैसे कैसे लगे हैं और क्या हमें इसके बारे में पूरी जानकारी है।

जोमेटो कंपनी के फाउंडर दीपेंद्र गल ने भी काफी मेहनत की है, और उनके प्रयासों से कंपनी को सफलता मिली है। वे अपनी कंपनी के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसी तरह के कंपनियों के शेयर्स में निवेश करने से पहले आपको उनके बारे में अच्छी तरह से जानना चाहिए।

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले समझ लें कि आपके लिए कौन सी कंपनी सही है और वहाँ कितना रिस्क है। इससे पहले निवेश करने के लिए कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।

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Prince Ranpariya

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